कभी खुद से भी मिला कीजिये...
न चादर बड़ी कीजिये, न ख्वाहिशें दफन कीजिये, चार दिन की है ज़िन्दगी, बस चैन से बसर कीजिये... न परेशान किसी को कीजिय…
न चादर बड़ी कीजिये, न ख्वाहिशें दफन कीजिये, चार दिन की है ज़िन्दगी, बस चैन से बसर कीजिये... न परेशान किसी को कीजिय…
ये एक सरल चित्र है, लेकिन बहुत ही गहरे अर्थ के साथ... महिला सोचती है: - ‘मैं गिरने वाली हूं और मैं नहीं चढ़ सकती क्यों…
मत करो घमंड इतना... एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर ना…
हमेशा अच्छे लोगों के साथ ही बुरा क्यों होता है ? एक आम निष्कर्ष तो यही हैं कि अगर आप शेर को नहीं छेड़ते तो इसक…
छोटी सी है ज़िंदगी, हर बात में खुश रहो । जो चेहरा पास ना हो, उसकी आवाज़ में खुश रहो, कोई रूठा हो तुमसे, उसके इस अंद…
छिप-छिपकर अश्रु बहाने वालो ! मोती जैसी अश्रु व्यर्थ लुटाने वालो ! कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता...।। स…
संसार में सबसे मुश्किल चीज़ है खुद को बताना... कि यह ज़रा भी मुश्किल नहीं है। जल्दी जागना मुश्किल नहीं है, पैसे बनाना …
मुसीबत में कोई नहीं... सीता के रखवाले राम थे, जब हरण हुआ तब कोई नहीं... द्रौपदी के पाँच पाण्डव, जब चीर हरा तब कोई नहीं.…
कभी खामोश रहता है, कभी आवाज बनता है, पिता हर पल में संजीवनी है, हर जज़्बात में रंग भरता है। उसके हाथों में देखी है, मैं…
आहिस्ता चल जिंदगी, अभी कई कर्ज चुकाना बाकी है कुछ दर्द मिटाना बाकी है कुछ फर्ज निभाना बाकी है रफ़्तार में तेरे चलने…
तू अगर हौसला करके चलता रहा... रास्ते खुद-ब-खुद ही निकल आयेंगें। आग पानी मे भी लग जायेगी यार, एक पल मे ये मौसम बदल जांय…
काश मुझको पता होता... कि कितना आसान है बचपन वाली कच्ची उम्र में रेत के घर बनाना, नंगे पांव मिट्टी में खेलना, बारिश …
'सबके हिस्से में नहीं आता' ये ज़मी, ये आसमान, ये खुशी, ये मुस्कान, रोटी, कपड़ा और मकान सबके हिस्से में नहीं …
एक ऋषि रोज लोटा मांजते थे, तभी जल पीते थे। एक शिष्य ने उनसे कहा कि गुरुवर लोटे को रोज माँजने की क्या जरूरत है सप्ताह मे…
एक पति ने अपने गुस्सैल पत्नी से तंग आकर उसे कीलों से भरा एक थैला देते हुए कहा, "तुम्हें जितनी बार क्रोध आए तुम थै…
कीमत - समय की या अनुभव की ? एक विशाल जहाज का इंजन खराब हो गया । लाख कोशिशों के बावजूद कोई इंजीनियर उसे ठीक नहीं कर…
दिल की बात जुबां पर लाना ठीक नहीं, अपने ज़ख्म हर किसी को दिखाना ठीक नहीं, अकेले रो लेते है, खुद को गले लगाकर । यूँ म…
कोई अर्थ नहीं नित जीवन के संघर्षों से जब टूट चुका हो अन्तर्मन, तब सुख के मिले समन्दर का रह जाता कोई अर्थ नहीं । जब फसल…
तो रोइए ना... मना किसने किया है ? आँसुओं को दबाने से एक दिन भावनाओं की वह बाढ़ आ सकती है जो परिवार की और आपके आस पास के…
अंग्रेजों ने जब हिंदुस्तान में नई-नई रेलगाड़ी (Train) चलाई तो एक डेरे के बाबा जी रोजाना रेलगाड़ी देखने जाते थे। एक दिन डे…