एक गुरू का शिष्य को प्रेरणादायी सीख...

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एक ऋषि रोज लोटा मांजते थे, तभी जल पीते थे। एक शिष्य ने उनसे कहा कि गुरुवर लोटे को रोज माँजने की क्या जरूरत है सप्ताह में एक बार माँज लिया करें । 

ऋषि ने कहा बात तो सही है और फिर उसके बाद उन्होंने उसे नहीं माँजा उस लोटे की चमक फीकी पड़ने लगी एक सप्ताह बाद ऋषि ने शिष्य से कहा कि लोटे को साफ कर दो, शिष्य लोटे को काफी देर माँजने के बाद भी पहले वाली चमक नही ला सका और काफी देर माँजा तब वह कुछ चमका ।

ऋषि ने कहा- लोटे से सीखो

"जब तक इसे रोज माँजा जाता रहा यह रोज चमकता रहा इसी तरह भक्त होता है यदि वह रोज सुमिरन न करे तो सांसारिक विकारों से अपनी चमक खो देता है, इसलिए भक्त को रोज अपने प्रभु को सुमिरन करना होता है अगर एक दिन भी सिमरन छूटा तो भक्ति की चमक फीकी पड़ जाएगी ।

सदगुरू वही होते हैं जो अपने ईष्ट प्रभु के समीप जाने के लिए किसी भी वस्तु ,स्थान, अथवा किसी व्यक्ति के संगत से कोई न कोई ऐसा प्रसंग ढूंढ ही लेते हैं जो भक्ति के लिए प्रेरणदायी बन जाती है। उनका प्रत्येक रास्ता ईश्वर के पास जाने के लिए ही होता है।

बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले ना भीख । 
गुरू दर्शन जब मिले, तब मिले एक नई सीख ।। 

राधे राधे 🙏🙏🙏🙏🙏

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