केवल शांति पाना ही जीवन का लक्ष्य नहीं...

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दिल की बात जुबां पर लाना ठीक नहीं, 

अपने ज़ख्म हर किसी को दिखाना ठीक नहीं, 

अकेले रो लेते है, खुद को गले लगाकर । 

यूँ महफिल में आंसू बहाना ठीक नहीं ।। 

अब ऐसे मिलते नहीं, जो दर्द में दवा बन सकें ।

यूँ हर किसी को हमदर्द बनाना ठीक नहीं ।

कि अब छोड़ दिया है हमने लोगों के पीछे जाना...

क्योंकि जो सच पर रूठे उसे मनाना ठीक नहीं ।।

अगर तुमने छेड़ा तो वारदात फिर से होगी, 

क्योंकि घायल होना कहानी का अंत नहीं ।।

हमारा केवल स्वभाव शांत है, हम कायर नहीं ।।

केवल सांस चलना ही जीवन नहीं होता,

उसे जीवन काटना कहते हैं... 

जिसके जीवन का कोई लक्ष्य नहीं !

बड़ी भारी होती है यह उर्जा, 

जो ठहर गई तो जीने नहीं देगी ।

अतंतः केवल शांति पाना ही जीवन का लक्ष्य नहीं... 

चलना - गिरना, गिर कर उठना... उठ कर फिर चलना, 

यही है जीवन की रीत ।। 

कहते है क्षमा शोभती उस भुजंग को,

जिसके पास "गरल" हो ...

वो विषधर ही क्या है  ?

जो "दंतहीन" "विषहीन" विनीत, सरल हो ।।

भलीभांति जानता हूं मैं, महाभारत के सार को ।

बिना युद्ध के कभी भी मिलती शांति नहीं ... 

क्योंकि अंततः निष्कर्ष यही आएगा ।

कायर कहेगा विश्व उसे, जो युद्ध नहीं कर पाएगा ।।


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