अच्छे लोगों के साथ ही बुरा क्यों ?

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हमेशा अच्छे लोगों के साथ ही बुरा क्यों होता है ?


        एक आम निष्कर्ष तो यही हैं कि अगर आप शेर को नहीं छेड़ते तो इसका मतलब यह नहीं कि शेर भी आपको नहीं खायेगा । तो फिर क्या यह संसार हमेशा से इसी तरह संचालित होता आया हैं ? शायद हाँ । इससे जुडी एक रोचक कहानी हैं -

        एक बार किसी जंगल में एक लड़का नदी किनारे घूम रहा था, तभी उसने एक दुखी और हताश स्वर में किसी के रोने की आवाज़ सुनी । उसने देखा की एक मगरमच्छ जाल में उलझा हुआ है और मदद के लिए पुकार लगा रहा हैं । वह लड़का उसकी मदद करना चाहता था परन्तु उसे उस पर संदेह भी था ।

मगरमच्छ : कृपया मेरी मदद करो, मुझे बचा लो, मुझे रिहा कर दो ।

लड़का : अगर मैं आपकी मदद करता हूँ तो आप आज़ाद होते हुए ही मुझे खा लेंगे ।

मगरमच्छ (रोते हुए) : मैं उस व्यक्ति को कैसे खा सकता हूँ जिसने मेरी जान बचाई ? इस विशाल वन में बहुत से जीव जंतु हैं जिन्हे मैं खा सकता हूँ । आप विश्वास रखे मैं आपको कोई हानि नहीं पहुँचाऊँगा और सदैव आपका ऋणी रहूंगा।

(लड़के को दया आ गई और उसने जाल काटना शुरू कर दिया । जैसे ही मगरमच्छ का सिर जाल से बाहर आया तो उसने लड़के के पैर को अपने जबड़े में जकड लिया । )

मगरमच्छ : मैं बहुत दिनों से भूखा हूँ, तुम एक अच्छे शिकार हो ।

लड़का : यह क्या बकवास हैं, लानत हैं तुम पर । मेरी भलाई का अच्छा सिला दे रहे हो तुम !

मगरमच्छ : मैं क्या कर सकता हूँ ? यही दुनिया का दस्तूर है !

लड़का (रोते हुए) : यह तो पूर्णतः अनुचित हैं, यह अन्याय हैं ।

मगरमच्छ : अनुचित से क्या मतलब है तुम्हारा ! किसी से भी पूछ लो, वे तुम्हे बताएंगे कि यह संसार कैसे संचालित होता है। अगर वे मुझे गलत साबित करते हैं, तो मैं तुम्हे जाने दूंगा ।

लड़के ने पास के पेड़ पर एक पक्षी को देखा और उससे पूछा, “ क्या आपको लगता है कि मगरमच्छ की हरकतें उचित हैं ? क्या यही दुनिया का तरीका है - अन्याय से भरा हुआ ? ”

वह पक्षी पूरी घटना को देख रही थी, उसने तुरंत जवाब दिया कि मगरमच्छ सही हैं । उसने बताया की कैसे उसने बहुत मेहनत से एक घोंसला बनाया और अपने अंडे दिए, और फिर एक दिन एक सांप ने आकर सारे अंडे निगल लिए और उसकी मेहनत बेकार चली गयी । उसने कहा की निःसंदेह यह दुनिया एक उचित जगह नहीं हैं । इतना कह कर वह उड़ गयी । 

मगरमच्छ : सुना तुमने (यह कह कर मगरमच्छ ने अपनी पकड़ और मजबूत कर दी)

लड़का : रुको ।

(लड़के ने पास ही एक गधे को चरते देखा और उससे भी वही प्रश्न किया)

गधा : दुर्भाग्य से, मगरमच्छ सही है । जब मैं छोटा था, मेरे मालिक ने मेरी पीठ पर बोझ लाद दी और मुझसे अधिकतम काम लिया । मैंने उसे वर्षों तक ईमानदारी से सेवा दी । अब जब मैं बूढ़ा और कमजोर हो गया, तो उसने मुझे यह कहते हुए मुझे जंगल में छोड़ दिया कि वह मुझे खाना नहीं दे सकता । अब कभी भी कोई शेर मुझे अपना शिकार बना सकता हैं । तो, हाँ, मगरमच्छ सही है। इस संसार में बहुत अन्याय, असमानता और अनुचितता है। ”

मगरमच्छ : अब बहुत हो गया, मुझे भूख लगी हैं । तुम ईश्वर से अपनी अंतिम प्रार्थना कर लो । 

लड़का : मुझे एक अंतिम अवसर दो । मुझे उस खरगोश से भी यह पूछने दो । 

मगरमच्छ : तुमने मुझे बचाया है, मैं तुम्हे एक अंतिम मौका देता हूँ।

(सवाल पूछे जाने पर, खरगोश का जवाब पक्षी और गधे से पूरी तरह से अलग था)

खरगोश : यह पूरी तरह बकवास है ! ऐसा बिलकुल नहीं है। दुनिया एक पूरी तरह से उचित जगह है।

मगरमच्छ : यह क्या बकवास हैं, मुर्ख खरगोश ! बेशक, यह दुनिया एक अनुचित जगह है। मुझे देखो ! मैं बिना किसी गलती के इस जाल में फंस गया था।

खरगोश : ऐसा लग रहा हैं जैसे कोई मुँह में पान रख कर बातें कर रहा हो । स्पष्ट और जोर से बोलो ।

मगरमच्छ : मैं तुम्हारी चालाकी समझ रहा हूँ, मैं स्पष्ट रूप से बोलने के लिए अपना मुँह खोलूँगा और लड़का बच जाएगा।

खरगोश : तुम मूर्ख हो या क्या ? क्या तुम भूल गए कि तुम्हारी पूंछ कितनी मजबूत है ? यदि वह भागने की कोशिश करता है, तो वह मर जाएगा । तुम यहाँ के आसपास सबसे ताकतवर जानवर हो ।

(मगरमच्छ इस झूठी प्रशंसा से खुश हो गया और तर्क जारी रखने के लिए अपना मुंह खोल दिया)

खरगोश (चिल्लाते हुए) : भागो लड़के भागो, दूर भाग जाओ ।

(और लड़का आज़ाद होते ही पूरी ताकत लगा कर भाग गया )

मगरमच्छ : धोखेबाज ! तुमने मेरा खाना छीन लिया । यह बहुत अनुचित है !

खरगोश : उचित-अनुचित की बात तुम ना ही करो तो बेहतर होगा ।

लड़का गाँव भाग गया और सभी पुरुषों को इकट्ठा कर लिया जो अपने भाले और तलवार लेकर आए और मगरमच्छ को मार डाला। उनका पालतू कुत्ता, जो उनके साथ आया था, खरगोश को देखा और उसका पीछा किया।

“अरे ! अरे ! ”लड़का चिल्लाया, और अपने कुत्ते को पकड़ने की कोशिश की । इस खरगोश ने मेरी जान बचाई हैं। उस पर हमला मत करो । लेकिन बहुत देर हो चुकी थी, कुत्ते ने खरगोश की कोमल गर्दन में अपने नुकीले दांत दफन कर दिए थे । खरगोश अब फर की बेजान गेंद से ज्यादा कुछ नहीं था।

लड़का : शायद मगरमच्छ ही सही था | दुनिया अनहोनी और अनिश्तिता से भरी हुई हैं । यही जीवन हैं ।

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    आप कितने आध्यात्मिक या अच्छे है, इसका इस बात से कोई संबंध नहीं हैं की आपको कितना कष्ट सहना होगा । किसी के आध्यात्मिक विकास का मतलब यह नहीं है कि वह प्रकृति के नियमों के दायरे से बाहर है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई लड़का है, मगरमच्छ हैं, गधा हैं या खरगोश, जीवन में कोई गारंटी नहीं है। और शायद, यह अनिश्चितता ही हमारे जीवन को साहसिक बनाती है।

अच्छा या महान होना आपको शारीरिक या मानसिक रोगों से बचा नहीं सकता है।

अच्छा होने का मतलब यह नहीं है कि आप सड़क दुर्घटना का शिकार नहीं हो सकते।

अच्छा होने से आपके शेयर की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ता है ।

अच्छा होने मात्र से आप किसी प्रतियोगी परीक्षा में सफल नहीं हो सकते ।

यदि आप किसी से बहुत प्यार करते हैं और वफादार हैं तो भी इसकी कोई गारंटी नहीं की आपका साथी आपको धोखा नहीं दे सकता ।

    तो फिर सवाल यही उठता हैं कि क्या हमें बुरा होना चाहिए ? जी बिलकुल नहीं । अच्छाई हमें चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करने की ताकत देती है । हमारी चुनौतियां हमें परखती हैं और उससे हमारा एक दृष्टिकोण निर्धारित होता हैं। बेशक हमारी अच्छाई हमें जीवन के कष्टों से नहीं बचा सकती परन्तु हमारा दृषिकोण हमे उस कष्ट की अवस्था में भी सम्बल प्रदान कर सकता हैं । एक उचित दृष्टिकोण के होने से आप कष्ट की अवस्था में भी दुःख का अनुभव नहीं करेंगे, आपको परेशान करने की कोशिश अवश्य की जा सकती हैं परन्तु कोई आपको कुचल नहीं पायेगा ।

आपके अच्छा करने पर आपके साथ भी अच्छा हो इसकी कोई गारन्टी नहीं है, परन्तु बुरा करने पर बुरा ही होगा इसकी पूरी गारन्टी है । 

आपकी यात्रा मंगलमय हो... ऐसा कह देने मात्र से कोई यात्रा मंगलमय हो जायेगी ऐसा जरूरी नहीं, रास्ते में कुछ भी अनहोनी हो सकती है । मगर ऐसा कहना आपके अच्छाई को, आपके सौहार्दपूर्ण प्रेम को दर्शाता है । और हृदय को आनन्द उल्हास से भर देता है । शायद यही जीवन हो... 

अच्छाई प्रार्थना हैं, ध्यान हैं, तप हैं । अच्छाई ही साक्षात् ईश्वर हैं, अतः हर परिस्थिति में अच्छा बने रहना ही उचित हैं । 

खुद अच्छे व सच्चे इन्सान बनें... व दूसरों को भी अच्छाई पर चलने के लिए प्रेरित करें । धन्यवाद... 

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