तो रोइए ना... मना किसने किया है ?

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तो रोइए ना... मना किसने किया है ?

आँसुओं को दबाने से एक दिन भावनाओं की वह बाढ़ आ सकती है जो परिवार की और आपके आस पास के लोगों की शान्ति भंग कर सकती है।

आपको पता है डिप्रेशन के ज्यादातर रोगी रोते नहीं हैं, अपने दर्द को अंदर ही अंदर पीते रहते हैं और तो और नकली मुस्कान ओढ़े दूसरों को ही नही,खुद को ही धोखा देते रहते हैं…

अंदर के घाव नासूर बनते जाते हैं… तभी इस गीत की रचना हुई,

"तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो, 

क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो ?"

असली और नकली मुस्कान में फ़र्क ही करना मुश्किल हो गया..

रोना कहीं से भी कमजोरी की निशानी नहीं है और आपको लगता है कि संवेदनशीलता कमजोरी है तो हाँ खुद को निर्बल कहने में संकोच न करें। कम से कम यह आपको पत्थरदिल तो नहीं बनाएगी।

जब किसी के आँसू सूख जाते हैं और असह्य परिस्थिति में भी नहीं बहते तो वह इंसान कोमलता की लक्ष्मण रेखा लांघकर कठोरता और क्रूरता की सीमा में कब प्रवेश कर जाता है… उसको पता ही नहीं चलता ! 

रुके हुए आँसू ही रक्तपात का कारण बनते है, चाहे वह अपना हो या परायों का, इनकी जिन्दगी एक सजा बनकर रह जाती है जिसमें कोई मजा नहीं रह जाता।

जब भी रोने का मन करे किसी अपने का कन्धा ढूँढिए, जो आपके रोने का मजाक न बनाए अन्यथा एकान्त में अपनी व्यथा ईश्वर को सुनाइए। आपके नैनो का सागर😭😭 उसके प्यार के सागर में ज्वार ला देगा और आप अपने गम के सागर से कब बाहर आ जाएंगे पता ही नहीं चलेगा।😊🌻🌹🌺🏵️🌱🌹🥀🌸🌼🥰😍🤩🥰😍

परन्तु याद रहे…

नकारात्मकता का रोना मुझे जरा भी नहीं भाता । हर चीज में कमी की शिकायत करके अपने ही दुखों का रोना रोना गलत है । नकारात्मक सोच का मेकअप की हुई रोनी सूरत किसी को भी नहीं भाती क्योंकि यह रोनी सूरत अपनी प्राप्तियों के लिए तो कभी ईश्वर का शुक्राना करती नही…

हाँ, कभी-कभी जब मन उदास हो तो मन हल्का करने के लिए रोना अलग बात है।😭🥰

यह हमेशा याद रखना है कि सृष्टि की सर्वोत्तम योनि मनुष्य का जन्म हरदम रोकर मन हल्का करने के लिए नहीं हुआ है।

प्रखर, आप प्रखर ही बने रहना । मेरे उत्तर से प्रेरणा लेकर कहीं रोने को आदत ही न बना लेना। मैं तो सबको हमेशा हंसने हंसाने पर ही बल देता हूँ।

😍🤩😂🥰😅😂🤣😆😁😄😃😀😍🤩🤗

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