सभ्य समाज के लिए घातक है यह खबर...

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सभ्य समाज के लिए घातक है यह खबर...

    यह बात किसी से छिपी नही है, कि अपने पद व प्रभाव की आड़ में कईं लोग अपने अधीनस्थों या कमजोरों का शोषण करते हैं.... मगर इसके साथ ही, ये भी सर्वविदित है, कि कईं लोग जल्दी आगे बढ़ने की दौड़ में प्रभावशाली लोगों का दामन थाम लेते हैं... चाहे इसके लिए उन्हें किसी भी स्तर पर समझौता करना पड़े। इस दौड़ में जंहा पुरूष को पैसा देकर या फिर आत्मसम्मान के साथ समझौता करके आगे बढ़ना होता है, तो वंही दूसरी ओर महिला को अपनी आबरू के साथ समझौता करना पड़ता है । 

    अंत में जब एक दूसरे की जरूरत निकल जाती है, तो फिर खेल शुरू होता है, सामने वाले को किनारे करने का । प्रभावशाली व्यक्ति एक कमजोर को हटाकर किसी और नए जरूरतमंद का फायदा उठाने की कोशिश करता है...!!! तो वहीं किनारे होता हुआ शख्स पुनः मजबूत होने के लिए हाथ पैर मारता है... भले इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े.... और फिर यंही से शुरू होता है #meetoo केम्पेन।


    इस दौरान जिन लोगो का वास्तव में शोषण हुआ है, वे भी सामने आते हैं और जिन्होंने अपने फायदे के लिए जुगाड़ बैठाए वे भी सामने आकर खुद को पीड़ित बताते हुए जनता की सहानुभूति लेने का प्रयास करते हैं । और ये काम केवल एक फील्ड में नही हैं बल्कि हर फील्ड में चाहे सरकारी ऑफिस हो प्राईवेट कम्पनी और-तो-और धार्मिक संस्था भी इससे अछूते नहीं है । 

    हर कार्यस्थल पर कर्मचारी व अधिकारी दोनों एक दूसरे का लाभ हानि देखते हुए अपनी सुविधानुसार मामला सेट करते रहते हैं । मगर हाँ, इस सब मामलों में सहानुभूति का जोर हमेशा एक पक्ष की ओर ज्यादा रहेगा, जिसने सबको सबसे पहले यह बताया हो... कि वह सही है और उसके साथ कितना गलत हुआ है किन्तु दूसरे पक्ष को केवल बचने के मार्ग ढूंढने होंगे जो कि वाकई में बहुत कठिन है । 

    कुल मिलाकर इन अतिमहत्वकांक्षी लोगो की महत्वकांक्षा की चक्कर में अधिकतर सामान्य लोग भी उलझकर रह जाते हैं, जो की सभ्य समाज के लिए बड़ा ही घातक है। ऐसे में समाज को चाहिए की सही-गलत का फैसला लेने में जल्दबाजी बिलकुल ना करें । चाहे एक पक्ष गलत हो, या फिर दोनों ही...

यह सच है कि...
लोग चाहते है आप आगे बढ़े ... 
मगर उनसे आगे... कभी नहीं ।। 

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